वक्फ संशोधन विधेयक संसद से पारित होने के बाद राष्ट्रपति के पास पहुंचा. वहां से मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून का रूप ले चुका है. लेकिन अब तक इससे जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां एक ओर इस कानून के विरोध में सड़कों पर दंगे तक देखे गए, वहीं इस कानून को लेकर राजनीतिक दलों में भी काफी गुस्सा है.
इस वक्फ बिल को लेकर भाजपा को समर्थन करने वाली JDU भी अंदरखाने विरोध का सामना कर रही है. कई जदयू नेता पार्टी छोड़ चुके हैं और पार्टी के इस रुख को लेकर नाराजगी जताते रहे हैं. वक्फ संशोधन बिल का समर्थन करने के बाद जेडीयू के मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं को जवाब नहीं सूझ रहा है.
सेक्यूलर दिखने की चुनौती
जेडीयू के मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि आखिर वे वक्फ बिल के समर्थन के नीतीश कुमार के फैसले का कैसे बचाव करें? मुश्किल ये भी है कि मुसलमानों के बीच जेडीयू को लेकर जो नाराजगी है, उसके बीच नीतीश को कैसे सेक्यूलर नेता बताएं?
जेडीयू में असहज हो चुके तीसरी और चौथी कतार के मुस्लिम नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा देना शुरू किया, लेकिन अबतक इस्तीफा देने वालों में किसी बड़े मुस्लिम नेता का नाम शुमार नहीं है. जेडीयू के एमएलसी और सीनियर लीडर गुलाम गौस ने वक्फ बिल के समर्थन का विरोध तो किया लेकिन पार्टी में बने हुए हैं. गौस जैसे नेताओं को समझाने के लिए प्रदेश नेतृत्व ने पार्टी दफ्तर बुलाया और जेडीयू के मुस्लिम नेताओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी बिठाया. हालांकि गुलाम गौस ने इस प्रेस ब्रीफिंग में कोई बयान देने से परहेज किया.
मौन साध रहे मुस्लिम नेता
राजद छोड़कर जेडीयू में आए पूर्व राज्यसभा सांसद अशफाक करीम भी वक्फ बिल के समर्थन के फैसले से नाराज हैं, लेकिन मजबूरी ये है कि आगामी विधानसभा में जेडीयू से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे करीम भी मुखर होकर कुछ बोल नहीं रहे.
बिल के विरोध में SC पहुंचे JDU नेता
जेडीयू से इस्तीफा देने वाले ज्यादातर नेता या तो पार्टी में पहले से हाशिए पर खड़े थे या फिर उन्होंने अपने लिए दूसरा ठिकाना खोज लिया .। जिन मुस्लिम नेताओं ने पार्टी छोड़ी उसमें से ज्यादातर पार्टी के अल्पसंख्यक सेल से जुड़े हुए थे ना कि मूल संगठन से. जेडीयू में बीते विधानसभा चुनाव के वक्त से सक्रिय हाजी मोहम्मद परवेज सिद्दीकी ने पार्टी से इस्तीफा दिए बगैर वक्फ एक्ट की चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. सिद्दीकी ने ऐलान किया है कि वे जेडीयू में रहकर इस कानूनी लड़ाई को लड़ेंगे.
उधर जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद गुलाम रसूल बलियावी ने भी वक्फ बिल को समर्थन के फैसले का खुलकर विरोध किया. बलियावी मुस्लिम धार्मिक संगठन इदार ए शरिया के प्रमुख भी हैं और इस मामले पर उन्होंने अपने संगठन के लोगों बैठक भी बुलाई है। इदार ए शरिया की बैठक के बाद बलियावी कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं.
मुस्लिम नेताओं को मिला टास्क
जेडीयू ने मुसलमानों के बीच बढ़ती नाराजगी को देखते हुए डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू की और पार्टी के मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं से बातचीत कर नाराजगी दूर करने के लिए उन्हें वक्फ एक्ट के अच्छे पहलुओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी. जेडीयू के मुस्लिम नेताओं को मुसलमानों के बीच नीतीश कुमार द्वारा उनके लिए किए गए काम को सामने रखने का टास्क दिया गया.
बिहार में साल 2023 में कराई गई जाति आधारित गणना के मुताबिक मुसलमानों की कुल आबादी 2 करोड़ 31 लाख 50 हजार के करीब है, जो बिहार की कुल आबादी का तकरीबन 17.70 फीसदी है.
वक्फ संशोधन बिल को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से कुछ प्रावधान लाए गए थे, जिनमें वक्फ संपत्ति से जुड़े मामलों में सरकारी नियंत्रण और निगरानी बढ़ाने की बात कही गई है. JDU, जो अब फिर से एनडीए का हिस्सा है, ने इस बिल का संसद में समर्थन किया.