कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी चुनावी साल के पहले हाफ में छठी बार बिहार के दौरे पर हैं. एक दिन के दौरे के दौरे गया से राजगीर तक, राहुल गांधी का तूफानी कार्यक्रम है. राजगीर, नालंदा जिले में पड़ता है, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला भी है. सीएम नीतीश के इलाके से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, उन्हीं के (नीतीश कुमार के) साइलेंट वोट पर चोट करेंगे. गया के गहलौर से नालंदा के राजगीर तक, विपक्ष के नेता राहुल गांधी के प्लान में क्या है?
राहुल गांधी का प्लान क्या?
राहुल गांधी चुनावी साल की शुरुआत से ही बिहार को लेकर खासे एक्टिव हैं. इस साल के शुरुआती पांच महीनों में पांच बार बिहार का दौरा कर चुके हैं. बिहार में प्रदेश अध्यक्ष बदलना हो या प्रदेश प्रभारी, संगठन के मोर्चे पर भी राहुल गांधी और कांग्रेस की सक्रियता नजर आई है. पहले राहुल गांधी के करीबी कृष्णा अल्लावरु को प्रदेश प्रभारी बनाया गया और फिर लालू यादव के करीबी अखिलेश प्रसाद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर राजेश राम को कमान सौंपी गई. बिहार में संगठन के दलित नेतृत्व के साथ कांग्रेस दलित पॉलिटिक्स की पिच पर एक्टिव हुई.
राहुल गांधी ने इस साल के अपने पांचवे बिहार दौरे में प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने के बावजूद दरभंगा के आंबेडकर छात्रावास पहुंचकर दलित छात्रों से संवाद किया, पटना पहुंचकर फुले फिल्म देखी. अब छठे दौरे में भी राहुल उसी कड़ी को आगे बढ़ाते नजर आ रहे हैं. राहुल गांधी दिल्ली से सीधे गया पहुंचेंगे, जहां से वह गहलौर जाएंगे. गहलौर 'माउंटेन मैन' दशरथ मांझी का गांव है. गहलौर में दशरथ मांझी के स्मारक पर माल्यार्पण कर राहुल गांधी उनके परिजनों से मुलाकात करेंगे.
गहलौर से राहुल गांधी के नीतीश कुमार के इलाके नालंदा जिले के राजगीर जाने का कार्यक्रम है. राजगीर के कन्वेंशन सेंटर में राहुल गांधी दलितों, आदिवासियों के साथ संवाद कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. राजगीर से राहुल फिर गया जाएंगे, जहां वह महिला संवाद कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. महिला संवाद कार्यक्रम में महिलाओं को संबोधित करने के बाद राहुल गांधी नई दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे.
नीतीश के कोर वोट पर करेंगे चोट
राहुल गांधी के चुनावी साल में पांचवें बिहार दौरे के दौरान टार्गेट बिहार एनडीए का चेहरा नीतीश कुमार ही हैं. नालंदा सीएम नीतीश कुमार का गृह जिला है. गया की बात करें तो एनडीए 2024 के लोकसभा चुनाव में भी आसपास की सीटें बचाए रखने में सफल रहा था, जब उसे सूबे में 2019 के मुकाबले नौ सीट का नुकसान उठाना पड़ा था. कांग्रेस और विपक्षी महागठबंधन ने अब अपना फोकस उन इलाकों पर कर दिया है, जो एनडीए का गढ़ माने जाते हैं. निशाने पर वोटबैंक भी है.
महिलाएं नीतीश का कोर वोटर
महिला वोटबैंक राष्ट्रीय स्तर पर भले ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का साइलेंट वोटर माना जाता है, लेकिन बिहार में यह नीतीश कुमार के ही साथ रहा है. नीतीश कुमार के इस कोर वोटबैंक का वोटिंग पैटर्न भी विपक्षी गठबंधन के ध्यान में होगा. बिहार विधानसभा के पिछले तीन चुनाव (2010, 2015 और 2020) का वोटिंग पैटर्न देखें तो पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने अधिक मतदान किया था. साल 2010 के बिहार चुनाव में पहली बार महिलाओं ने टर्नआउट के मामले में पुरुषों को पीछे छोड़ दिया था और यह किसी राज्य के चुनाव में पहला मौका भी था.
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साल 2010 के बिहार चुनाव में पुरुषों का टर्नआउट 53 फीसदी रहा था. महिलाओं ने तब 54.5 फीसदी मतदान किया था. इस चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) 115 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी. साल 2015 में 51.1 फीसदी पुरुषों के मुकाबले 60.4 फीसदी महिलाओं ने मतदान किया था. 2020 के बिहार चुनाव में जहां 54.6 फीसदी पुरुषों ने वोट किए थे, वहीं महिलाओं का मत प्रतिशत 59.7 फीसदी रहा था. पिछले बिहार चुनाव में महिलाओं ने टर्नआउट के मामले में पुरुषों को पांच फीसदी से भी अधिक के अंतर से पीछे छोड़ दिया था.
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महादलित को साधने की भी कवायद
राहुल गांधी का गया के गहलौर गांव जाना भी नीतीश कुमार के वोटबैंक पर चोट करने की रणनीति से ही जोड़कर देखा जा रहा है. गहलौर जाकर राहुल गांधी, दशरथ मांझी के परिवार से मुलाकात करेंगे. एनडीए में मांझी वोट की दावेदारी वैसे तो जीतनराम मांझी करते हैं. लेकिन मांझी समुदाय जिस वर्ग में आता है, वह है महादलित. दलित जातियों में पासवान छोड़ अन्य सभी दलित जातियों को नीतीश कुमार की सरकार ने ही 2007 में महादलित का दर्जा दिया था. महादलित भी नीतीश कुमार के ही कोर वोटर माने जाते हैं.