बैंक-बिल्डर गठजोड़ की जांच करेगी CBI, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बायर्स को कितनी राहत?

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सुनवाई में कहा था कि हजारों घर खरीदार एक ऐसे सबवेंशन योजना से प्रभावित हुए हैं, जिसमें बैंक, बिल्डरों को होम लोन की 60 से 70 फीसदी अमाउंट एडवांस में दे देते हैं. जबकि प्रोजेक्ट तय वक्त पर पूरा नहीं हो पाता. 

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घर खरीदारों को बड़ी राहत घर खरीदारों को बड़ी राहत

स्मिता चंद

  • नई दिल्ली,
  • 30 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 2:19 PM IST

घर खरीदारों को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ी राहत दी. कोर्ट ने बैंकों और बिल्डरों के बीच गठजोड़ की सीबीआई जांच का आदेश दिया है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटेश्वर और सूर्यकांत की बेंच एनसीआर क्षेत्र, खासकर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में सबवेंशन योजनाओं के तहत फ्लैट बुक करने वाले घर खरीदारों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने पहली नजर में पाया कि नोएडा, गुड़गांव, यमुना एक्सप्रेसवे, ग्रेटर नोएडा, मोहाली, मुंबई, कोलकाता और प्रयागराज में बैंकों और बिल्डरों के बीच साठगांठ है. कोर्ट ने बैंक और बिल्डर दोनों की चेतावनी दी है कि बायर्स के साथ धोखा होने पर कड़ा एक्शन होगा.    

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सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद लाखों घर खरीदारों को क्या फायदा होगा. इस बारे में आजतक डिजिटल ने घर खरीदारों और एक्सपर्ट से बात की. 

'अगर डेडलाइन के अंदर काम किया...'

प्रॉपर्टी एक्सपर्ट प्रदीप मिश्रा बताते हैं-  Rera पहले से ही है, लेकिन लोगों को कोई फायदा नहीं हो रहा है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लोगों की उम्मीद बढ़ गई है. लेकिन ये आदेश अगर जमीन पर हकीकत बनकर आया तभी इसका फायदा मिलेगा. अगर डेडलाइन के अंदर काम किया जाए तो इससे घर घरीदारों को काफी राहत मिलेगी. इस आदेश के बाद अब रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता आने की उम्मीद है.  सुप्रीम कोर्ट सख्त है इसलिए अब बिल्डर अपने प्रोजेक्ट को लेकर अलर्ट रहेंगे और कोशिश करेंगे कि वक्त पर पजेशन दें. वहीं बैंक भी लोन देने में सतर्कता बरतेंगे और उन्हीं प्रोजक्ट को अप्रूवल देंगे, जिनके पेपर सही होंगे. इससे बायर्स गलत प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक कर नहीं फंसेंगे.   

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क्या कहते हैं फ्लैट खरीदार?

नोएडा में फ्लैट खरीदारों के अधिकारों के लिए NEFOWA (Noida Extension Flat Owner Welfare Association) सालों से काम कर रहा है. NEFOWA के वाइस प्रेसिडेंट दिपांकर कहते हैं सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश तो हम होम बायर्स के लिए अच्छी खबर हैं. इससे लाखों ऐसे बायर्स जिनकी मेहनत की कमाई फंसी है, उनको थोड़ी उम्मीद तो जगी है. लेकिन एक दिक्कत ये हैं कि सीबीआई जांच की रफ्तार काफी स्लो होती है. अगर उनका पुराना ट्रैक रिकॉर्ड देखा जाए तो उनकी रफ्तार पर हमें थोड़ा संदेह है. हां अगर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच होगा तो हमें भरोसा है कि इसका नतीजा बायर्स के फेवर में होगा. 

एक और घर खरीदार दीपिका कहती हैं- बैंक सालों तक हम बायर्स से पैसा लेते हैं. आखिर बैंक हम कंज्यूमर के साथ क्यों नहीं खड़ा होता है. खरीदारों की तो ऐसी हालत है कि उसके पैसे भी गए और घर भी नहीं मिला. कोर्ट हम मिडिल क्लास लोगों का भी ध्यान रखे. सबसे बड़ी दिक्कत है कि बैंक कुछ नहीं करता है. वो सिर्फ हमसे पैसा ही ले रहा है. अगर बायर्स पैसा रोक देते हैं तो उसी पर पेनाल्टी लगती है.    

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रुद्रा पैलेस हाइट के घर खरीदार नीरज- कहते हैं सबवेंशन स्कीम में सबसे बड़ा स्कैम हुआ है. इस स्कीम में बिल्डर ने 80 फीसदी पैसा भी ले लिया इंट्रेस्ट भी घर घरीदार भर रहा है. इसमें बैंक ने अपना पल्ला झाड़ लिया है और बिल्डर पैसे लेकर भाग गया. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से हम लोगों को काफी उम्मीद है. बैंक लेंटर डालने पर भी पैसे लेता है. घोटाला तो सीएलपी प्लान में भी है, बस हम लोगों को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सही तरीके से जांच हो और हम घर खरीदारों को राहत मिल जाए.

   

लाखों लोगों के पैसे फंसे

बता दें कि देश भर में लाखों ऐसे हाउसिंग प्रोजेक्ट हैं, जिन में लोगों ने पैसे लगाए हैं, लेकिन उनको न तो घर मिल रहा है और न ही पैसे वापस मिल रहे हैं. ये कहानी, मुंबई, पुणे, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम जैसे बड़े शहरों की है, जहां बिल्डर बड़े-बड़े लुभावने वादे कर नए-नए प्रोजेक्ट लॉन्च करते हैं और लोग अपनी सारी सेविंग्स लगाकर घर खरीदते हैं, लेकिन बाद में पता चलता है कि उनका बिल्डर फ्रॉड निकला. कई ऐसे प्रोजेक्ट भी हैं, जिसके बिल्डर प्रोजेक्ट अधूरा छोड़कर भाग चुके हैं और अब लोग कोर्ट के चक्कर काटने को मजबूर हैं. 

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सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सुनवाई में कहा था कि हजारों घर खरीदार एक ऐसे सबवेंशन योजना से प्रभावित हुए हैं, जिसमें बैंक, बिल्डरों को होम लोन की 60 से 70 फीसदी अमाउंट एडवांस में दे देते हैं. जबकि प्रोजेक्ट तय वक्त पर पूरा नहीं हो पाता. 
 

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