होम बायर्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा कदम उठाते हुए दिल्ली-NCR में बिल्डर-बैंकों के गठजोड़ की CBI जांच कराने का आदेश दिया है. यह आदेश तब आया जब न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ एनसीआर क्षेत्र, खासकर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में सबवेंशन योजनाओं के तहत फ्लैट बुक करने वाले घर खरीदारों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इन लोगों ने आरोप लगाया है कि बैंक उन्हें ईएमआई का भुगतान करने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जबकि उन्हें अपने घरों का कब्जा नहीं मिला है.
कोर्ट द्वारा आदेशित पहली सीबीआई जांच सुपरटेक लिमिटेड पर केंद्रित होगी, जो पहले से ही विभिन्न उल्लंघनों के लिए जांच के दायरे में एक प्रमुख डेवलपर है. दूसरी जांच नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे, गुरुग्राम और गाजियाबाद के आसपास के क्षेत्रों में अन्य बिल्डरों की परियोजनाओं को कवर करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सात प्रारंभिक जांच (PE) दर्ज करने के आदेश दिए हैं.
मामले पर हर महीने स्टेटस रिपोर्ट लेगा कोर्ट
इस बाबत CBI निदेशक को SIT बनाने के निर्देश दिए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और हरियाणा DGP को CBI को पुलिस अफसर मुहैया कराने के आदेश दिया है. इस मामले की मॉनिटरिंग सुप्रीम कोर्ट खुद करेगा. कोर्ट ने सीबीआई से अंतरिम स्टेटस रिपोर्ट मांगी है और कोर्ट इस पर हर महीने सुनवाई करेगा.
यह देखते हुए कि कई बिल्डरों और बैंकों ने गरीब घर खरीदारों को फिरौती के तौर पर लिया है, शीर्ष अदालत ने कहा कि यह सांठगांठ बहुत कठिनाई पैदा कर रही है. सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने कहा, "घर खरीदने वालों को रोने पर मजबूर किया जाता है."
यूपी-हरियाणा के अधिकारियों को शॉर्टलिस्ट करने के निर्देश
स्थिति को अस्वीकार्य बताते हुए, बेंच ने कहा कि सच्चाई को उजागर करने के लिए स्वतंत्र जांच का समय आ गया है. कोर्ट का यह आदेश सीबीआई के खुद के प्रस्ताव के बाद आया है, जिसमें तर्क दिया गया था कि वित्तीय संस्थानों के साथ मिलीभगत करने वाले बिल्डरों की मंशा और कार्यप्रणाली को समझने के लिए प्रारंभिक जांच जरूरी है.
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पुलिस महानिदेशकों को उन अधिकारियों को शॉर्टलिस्ट करने का निर्देश दिया है, जिन्हें सीबीआई की सहायता के लिए नियुक्त किया जाएगा. एजेंसी को अपने अधिकारियों, चयनित राज्य पुलिस अधिकारियों और विषय-वस्तु विशेषज्ञों से मिलकर एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करना है. इसके अलावा, जांच में सहायता के लिए भारतीय रिजर्व बैंक और संबंधित विकास प्राधिकरणों जैसी संस्थाओं द्वारा नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे.