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अधूरा फ्लैट देने पर बिल्डर को देना पड़ेगा जुर्माना, UP Rera की चेतावनी

हजारों खरीदारों ने आरोप लगाया था कि बिल्डर BBA पर साइन करते समय उन लोगों को अधूरे फ्लैट देने के लिए मजबूर कर रहे हैं. रेरा के नोटिस में ये कहा गया है कि अधूरे घर का कब्जा देना रियल एस्टेट अधिनियम 2016 का उल्लंघन है.

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बायर्स को मिलेगी राहत
बायर्स को मिलेगी राहत

अधूरे फ्लैट का पजेशन देने वाले बिल्डरों के खिलाफ अब यूपी रेरा (Uttar Pradesh real estate regulatory authority) कड़ा एक्शन लेगी. पिछले कई सालों से घर खरीदार शिकायत कर रहे थे कि उनसे पूरे पैसे लेकर बिल्डर अधूरे घर दे रहे हैं, जिससे लोगों की जान भी जोखिम में पड़ रही है. बायर्स की शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए, उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (यूपी-रेरा) ने निर्देश दिया है कि अगर डेवलपर्स  खरीदारों को अधूरे फ्लैट देंगे तो प्रोजेक्ट की कुल लागत का 5% तक जुर्माना लग सकता है.

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RERA ने 8 मई को ये नोटिस जारी किया. सैकड़ों खरीदारों ने आरोप लगाया था कि बिल्डर BBA पर साइन करते समय उन लोगों को अधूरे फ्लैट देने के लिए मजबूर कर रहे हैं. रेरा के नोटिस में ये कहा गया है कि अधूरे घर का कब्जा देना रियल एस्टेट अधिनियम 2016 का उल्लंघन है. रेरा ने साफ कहा है कि केवल उन्हीं फ्लैट का पजेशन दिया जाए जिनके पास वैध आक्युपेंसी सर्टिफिकेट या कंप्लीशन सर्टिफिकेट हो.   

घर खरीदारों को मिलेगी राहत
 
रेरा अधिनियम, 2016 की धारा 37 के तहत जारी इस निर्देश का उद्देश्य घर खरीदारों को अधूरे फ्लैट स्वीकार करने के दबाव से बचाना है, जिसे यूपी-रेरा ने अवैध और कानून का गंभीर उल्लंघन घोषित किया है.

यूपी-रेरा के सचिव महेंद्र वर्मा ने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वाले प्रमोटरों पर रेरा अधिनियम की धारा 38 और 61 के तहत परियोजना की कुल लागत का 5% तक जुर्माना लगाया जा सकता है.  रेरा ने देखा है कि कुछ बिल्डर फ्लैट खरीदने के समझौते में एक शर्त डालते हैं, जिसमें खरीदारों को बिना तैयार फ्लैट्स का कब्जा लेने के लिए कहा जाता है, जबकि वास्तव में फ्लैट्स तैयार नहीं होते. यह बिल्डरों की तरफ से गलत है और यह कानून के खिलाफ है, इससे खरीदारों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है, जो रेरा कानून के तहत दी गई है. 

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पजेशन देने की क्या शर्तें

यह जरूरी है कि उचित निर्देश जारी किए जाएं ताकि प्रमोटर अधिनियम और नियमों के प्रावधानों का सख्ती से पालन करें और आवंटियों के हितों को किसी भी तरह से समझौता न किया जाए. उत्तर प्रदेश बिल्डिंग नियमों के अनुसार, एक रियल एस्टेट डेवलपर को ओसी (Occupancy Certificate) के लिए आवेदन करने से पहले कई महत्वपूर्ण प्रमाणपत्र लेने होते हैं. इनमें शामिल हैं- 

1. अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र
2. बकाया मंजूरी प्रमाणपत्र
3. पार्क, लिफ्ट, पूल और अन्य सामान्य सेवाओं के प्रावधान का प्रमाणपत्र

इन सभी मानकों को पूरा करने के बाद, नोएडा अथॉरिटी साइट का निरीक्षण करता है. ओसी मिलने के बाद ही बिल्डर खरीदारों को फ्लैट का कब्जा दे सकता है, बिना ओसी के कब्जा देना अवैध है. बता दें कि एनसीआर में कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिसमें लोगों को अधूरे फ्लैट दिए गए हैं, कई की तो हालत ऐसी है कि फ्लोर तक नहीं बना है, तो कहीं बिजली के तार लटके हुए देखते हैं, लेकिन लोग मजबूरी में ऐसे घरों में रह रहे हैं. एनसीआर में ऐसे प्रोजेक्ट भी हैं, जहां लोग सालों से पैसे देकर घर मिलने का इंतजार कर रहे हैं और उन्हें घर नहीं मिल रहा है.
 

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