क्या इस्तीफा देंगे जस्टिस यशवंत वर्मा या महाभियोग चलेगा? कैश कांड में जांच रिपोर्ट के बाद कार्रवाई तय

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन ने इस मामले की जांच करके 42 दिनों में रिपोर्ट दी.

Advertisement
जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 08 मई 2025,
  • अपडेटेड 11:42 AM IST

पिछले कुछ दिनों से जस्टिस यशवंत वर्मा सुर्खियों में हैं. उन पर आरोप है कि नई दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास से भारी मात्रा में कैश मिला. 14 मार्च को दिल्ली हाई कोर्ट के जज के आवास के एक स्टोर रूम में आग लगी थी, जहां पर कथित तौर पर उनके घर से बड़ी मात्रा में कैश मिला था. वो आवास जस्टिस वर्मा का ही था. अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के निर्देश पर तीन हाई कोर्ट जजों की इनहाउस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि दिल्ली हाई कोर्ट के तत्कालीन जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से आग लगने के दौरान बड़ी तादाद में कैश मिला था. 

Advertisement

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन ने इस मामले की जांच करके 42 दिनों में रिपोर्ट दी.

वायरल हुआ था कैश कांड का वीडियो

होली के दिन 14 मार्च की रात जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग लगने के बाद कथित तौर पर अग्निशमन कर्मियों ने बेहिसाब नकदी बरामद की थी. जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी उस वक्त दिल्ली में नहीं थे, वो मध्य प्रदेश की  यात्रा पर थे. आग लगने के वक्त घर पर केवल उनकी बेटी और बूढ़ी मां ही थीं. बाद में एक वीडियो सामने आया जिसमें बोरे में भरे नकदी के बंडल जलते हुए दिखाई दे रहे थे.

इस घटना के बाद जस्टिस वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. उन्होंने सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया. उन्होंने कहा कि यह उन्हें फंसाने की साजिश लगती है. इसके बाद CJI ने आरोपों की आंतरिक जांच शुरू की. जांच के लिए 22 मार्च को तीन सदस्यीय समिति गठित की.

Advertisement

जले हुए कैश का वीडियो दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय के साथ शेयर किया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे पब्लिक किया और एक अभूतपूर्व घटनाक्रम में जस्टिस वर्मा के जवाब के साथ घटना पर दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की शुरुआती रिपोर्ट भी पब्लिश की.

आरोपों के बाद जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस भेज दिया गया. वकीलों के विरोध के बीच वहां उन्हें पद की शपथ दिलाई गई. हालांकि, सीजेआई के निर्देश पर न्यायाधीश को न्यायिक कार्य से अस्थायी रूप में विमुख रखा गया है, यानी वो कोर्ट में बैठ कर फैसला नहीं दे सकते.

इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस वर्मा की वापसी के खिलाफ हड़ताल कर दी थी. आंतरिक जांच के लंबित रहने को देखते हुए, न्यायिक पक्ष से सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. आंतरिक जांच शुरू होने के तुरंत बाद जस्टिस वर्मा ने कथित तौर पर सीनियर वकीलों की एक टीम से कानूनी सलाह मांगी. सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल, अरुंधति काटजू और अधिवक्ता तारा नरूला, स्तुति गुजराल और एक अन्य वकील उनके आवास पर आए थे.

यह भी पढ़ें: जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े 'कैश कांड' की जांच पूरी, समिति ने CJI को सौंपी रिपोर्ट

Advertisement

कमेटी में रिपोर्ट में क्या कहा?

तीन जजों की जांच समिति की तरफ से सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना को सौंपी गई रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि 14 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा के तुगलक क्रिसेंट आवास के एक स्टोर रूम में भारी मात्रा में कैश पाया गया था. यह निष्कर्ष न्यायाधीश के विपरीत दावे को खारिज करता है.

रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के उन बयानों को खारिज कर दिया गया है, जिसमें उन्होंने अपने आधिकारिक आवास के एक कमरे से पैसे मिलने के बारे में खुद को निर्दोष बताया था. न्याय के सिद्धांत का पालन करते हुए सीजेआई ने रिपोर्ट भेजी और दो दिनों के अंदर उनका जवाब मांगा. 13 मई को रिटायर होने वाले सीजेआई इस मुद्दे को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने के लिए दृढ़ हैं.

पंजाब एवं हरियाणा के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस अनुरामन की सदस्यता वाली समिति ने अपनी लंबी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा कि न्यायाधीश के आवास परिसर के एक कमरे में आग लगने की घटना के बाद प्रथम प्रतिक्रियाकर्ताओं को भारी मात्रा में नकदी मिली थी.

दिल्ली पुलिस आयुक्त, दिल्ली अग्निशमन सेवा प्रमुख और कर्मचारियों और उनके घर पर तैनात सुरक्षाकर्मियों सहित 50 गवाहों से पूछताछ करने वाले पैनल ने कहा कि 14 मार्च को घटनास्थल पर मौजूद अधिकांश गवाहों ने इस बात की पुष्टि की है कि जब जस्टिस वर्मा भोपाल में थे, तब कमरे में रखी नकदी के एक हिस्से में आग लग गई थी. 

Advertisement

रिपोर्ट में 'अधजले कैश के रहस्यमय ढंग से गायब होने' की जानकारी

सूत्रों ने बताया कि जांच पैनल की रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले पर तैनात सुरक्षा गार्डों द्वारा कमरे से बिना जले कैश के रहस्यमय ढंग से गायब होने का उल्लेख किया गया है. दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने भी 21 मार्च को चीफ जस्टिस खन्ना को सौंपी अपनी रिपोर्ट में गायब हुए कैश का जिक्र किया था. 

जब जस्टिस उपाध्याय ने स्टोर रूम में जलते हुए कैश का वीडियो जस्टिस वर्मा को दिखाया था, तो जस्टिस वर्मा ने 'अपने खिलाफ किसी साजिश की आशंका जताई थी.' पुलिस कमिश्नर द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को दिए गए कैश जलाने के वीडियो और फोटोग्राफ, घटना के 6 दिन बाद यानी 20 मार्च को ही मुख्य न्यायाधीश खन्ना को सौंपे गए थे.

दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस वर्मा के बचाव से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने मुख्य जस्टिस खन्ना से कहा था कि पूरे मामले की गहन जांच की जरूरत है. मुख्य न्यायाधीश ने 22 मार्च को जांच पैनल गठित किया और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को उसी दिन इलाहाबाद हाई कोर्ट वापस भेज दिया और निर्देश दिया कि उन्हें कोई न्यायिक कार्य न दिया जाए.

Advertisement

यह भी पढ़ें: जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से मिली 'अकूत नकदी', सुप्रीम कोर्ट की इनहाउस जांच में बड़ा खुलासा

जांच पैनल ने जस्टिस वर्मा के कॉल डेटा रिकॉर्ड की भी जांच की. अपने जवाब में जस्टिस वर्मा ने कहा था, "मैं साफ तौर से कहता हूं कि मेरे या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा उस स्टोररूम में कभी भी कोई कैश नहीं रखा गया था और मैं इस बात की कड़ी निंदा करता हूं कि कथित नकदी हमारी थी.

जस्टिस वर्मा ने कहा कि यह विचार या सुझाव कि यह कैश हमारे द्वारा रखा गया था, पूरी तरह से हास्यास्पद है. उन्होंने यह भी कहा था कि 15 मार्च की शाम को भोपाल से आने के बाद उन्होंने स्टोर रूम का निरीक्षण किया था और वहां कोई कैश नहीं पाया गया था. उन्होंने तब भी इनकार जारी रखा, जब जलते हुए कैश का वीडियो और तस्वीरें सुप्रीम कोर्ट की ऑफिशियल वेबसाइट पर अपलोड की गईं. 

जस्टिस वर्मा ने कहा था, "मैं वीडियो का कंटेंट देखकर पूरी तरह से हैरान रह गया क्योंकि उसमें कुछ ऐसा दिखाया गया था, जो मौके पर नहीं मिला था, जैसा कि मैंने देखा था. यही बात थी, जिसने मुझे यह देखने के लिए प्रेरित किया कि यह साफ तौर से मुझे फंसाने और बदनाम करने की साजिश थी."

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement
OSZAR »