भारत के आगे पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए हैं. PAK के मददगार दोस्त भी एक्सपोज हो गए हैं. तुर्किए, अजरबैजान और चीन ने पर्दे के पीछे से पाकिस्तानी आतंकवाद पर अपना दोहरा चरित्र दिखाया है. हालांकि, भारत के आगे दुश्मन देश पस्त हो गए और संघर्ष विराम की गुहार लगाने को मजबूर हो गए हैं. फिलहाल, भारत अभी भी सतर्क है और पाकिस्तानी सेना या सेना समर्थित आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए खुद को 'हॉट स्टैंडबाय' पर रखा है. इस बीच, ऑपरेशन सिंदूर के तहत ISR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनसेंस) जारी है. यानी सैन्य प्रक्रिया अभी थमी नहीं है. दुश्मन की गतिविधियों और स्थानों की जानकारी एकत्र की जा रही है. उन पर नजर रखी जा रही है.
दरअसल, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे. इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की और 7-8 मई की रात भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए. भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर 23 मिनट तक हमले किए. इनमें बहावलपुर, मुरिदके, सियालकोट, कोटली और मुज़फ़्फराबाद जैसे स्थान शामिल थे. इन हमलों का उद्देश्य जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के मुख्यालयों और प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट करना था.
क्यों संघर्ष विराम को मजबूर हुआ पाकिस्तान?
भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान 250 किलोमीटर दूर पहुंचे और हवाई मिसाइलें दागीं. पाकिस्तान के 13 से ज्यादा एयरबेस, ड्रोन सेंटर, एविएशन और रडार स्टेशनों को निशाना बनाया. इन हमलों ने पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली को फेल कर दिया, जिससे पाकिस्तान को संघर्ष विराम के लिए मजबूर होना पड़ा. स्कार्दू, नूर खान एयरबेस, सरगोधा, जैकोबाबाद, रहीमयार खान और कराची के मलिर छावनी जैसे प्रमुख केंद्रों पर हमला किया गया. अगर पाकिस्तान आगे बढ़ता तो भारत दूसरे हिस्सों में भी एक और हमले के लिए तैयार था.
अब भविष्य की क्या तैयारियां?
आने वाले ऑपरेशन में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल जैसे स्टैंड-ऑफ हथियारों और कामिकाज़ी ड्रोन का ज्यादा इस्तेमाल होगा. वायुसेना के लिए अतिरिक्त AWACS और रीफ्यूलर्स की जरूरत होगी. नौसेना की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी, विशेष रूप से अरब सागर से हमलों के लिए. हारोप जैसे कामिकाजी ड्रोन दुश्मन की युद्ध लड़ने की क्षमता को कम करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. तुरंत निर्माण करने की जरूरत है और अतिरिक्त धन की जरूरत होगी. फिलहाल, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है और किसी भी प्रकार के उकसावे का तुरंत जवाब देने के लिए तैयार है.
चीन-पाकिस्तान-तुर्की गठजोड़
ऑपरेशन में चीन, पाक तुर्की की जोड़ी दिख रही है. सूत्रों के अनुसार, चीन पाकिस्तान को हथियार और प्रशिक्षण दे रहा है. साथ ही IMF से मिले राहत पैकेज का उपयोग चीनी और तुर्की उपकरण खरीदने में किया गया. माना जाता है कि तुर्की ने ना सिर्फ पाकिस्तान को सशस्त्र ड्रोन बेचे हैं, बल्कि कुछ इनपुट्स से संकेत मिलता है कि कुछ तुर्की ऑपरेटर ड्रोन ऑपरेशन का संचालन कर रहे थे, जिसमें भारतीय नागरिकों और सैनिकों को निशाना बनाया गया था. सूत्रों का कहना है कि फिलहाल सिर्फ ऑपरेशन पर विराम लगा है. आईएसआर खुफिया, निगरानी और टोही के दृष्टिकोण से ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है.
ड्रोन और मिसाइल हमले नाकाम
पाकिस्तान ने लद्दाख से लेकर गुजरात के सिर क्रीक तक 36 स्थानों पर ड्रोन हमले किए, लेकिन भारत के एय़र डिफेंस सिस्टम ने इन्हें नाकाम कर दिया. तुर्की निर्मित ड्रोन का भी उपयोग किया गया, तुर्की के ड्रोन ऑपरेटरों की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं.
टेंशन में क्यों पाकिस्तान?
नौसेना अरब सागर से हमलों के लिए ट्रम्प कार्ड बनी हुई है. नौसेना के दबाव ने पाकिस्तान को चिंतित कर दिया है. भारत का एयर डिफेंस सिस्टम PAK के लिए अभेद्य दीवार साबित हुआ. बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय DGMO ने पाकिस्तानी समकक्ष को सूचित किया कि ऑपरेशन का उद्देश्य सिर्फ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाना था, न कि सैन्य अड्डों को. साथ ही उन्हें सलाह दी कि वे स्थिति को और न बढ़ाएं, क्योंकि ऑपरेशन में सैन्य स्थलों को निशाना नहीं बनाया गया था.