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'गांव नहीं छोड़ेंगे, जरूरत पड़ी तो सेना के साथ खड़े होंगे...' पंजाब से कश्मीर तक एक सुर में बोले लोग, दिखा जज्बा

भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच एक तरफ जहां सुरक्षा एजेंसियां चौकसी बढ़ा रही हैं, वहीं सरहदी गांवों से देशभक्ति और हौसले की मिसालें सामने आ रही हैं. फिरोजपुर, गुरदासपुर, उरी और जम्मू के बॉर्डर वाले गांवों में लोग डटे हुए हैं, उनका कहना है कि जिंदगी खतरे में हो तो हो, लेकिन देश के साथ खड़े रहेंगे. सेना को जरूरत पड़ी तो गांववाले भी कदम से कदम मिलाकर साथ देंगे.

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फिरोजपुर गांव में बात करते ग्रामीण. (Photo: Aajtak)
फिरोजपुर गांव में बात करते ग्रामीण. (Photo: Aajtak)

पंजाब, कश्मीर और जम्मू के बॉर्डर से लगे गांवों में भले ही इन दिनों गोलियों की आवाज गूंज रही हो, लेकिन वहां रहने वाले लोग खामोश नहीं हैं. उनका हौसला आसमान छू रहा है. डर नाम की कोई चीज उनकी जुबान पर नहीं, बल्कि जवाब देने की तैयारी है. गांवों में राशन जमा हो रहा है, महिलाएं अपने बच्चों को सिखा रही हैं कि हमले के वक्त क्या करना है, और पूर्व सैनिक युवाओं को समझा रहे हैं कि देश पहले है, बाकी सब बाद में...!

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फिरोजपुर बॉर्डर पर महवा गांव के बुजुर्गों से आजतक ने बात की. उन्होंने कहा कि हम 1965 और 1971 की जंग में भी कहीं नहीं गए थे. इस बार भी नहीं जाएंगे. हमारे जवानों ने जैसे पाकिस्तान को जवाब दिया है, हम उसके साथ खड़े हैं. जो जरूरत होगी, हम देंगे- अपनी जान तक.

गांव की सरपंच निर्मला देवी ने गांववालों से पहले ही कह दिया है-घर में राशन पानी जमा कर लो, बच्चों को सिखा दो कि कठिन परिस्थिति में क्या करना है. अगर जंग होती है, तो गांव नहीं छोड़ेंगे. पाकिस्तान को सबक सिखाना जरूरी है.

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गुरदासपुर बॉर्डर पर गांवों में लग रही चौपाल

गुरदासपुर बॉर्डर पर गांवों में चौपाल लग रही है, जिसमें न सिर्फ पुरुष, बल्कि महिलाएं भी शामिल हैं. यहां अमरती देवी, कमलेश देवी और सुनीता दीदी जैसी गृहणियां अपने घरों में जरूरी सामान स्टोर कर रही हैं और कहती हैं- हम पाकिस्तान से नहीं डरते. हमारे पति या भाई अगर सेना में नहीं हैं, तो क्या हुआ- हम खुद तैयार हैं.

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पूर्व सैनिक सुखविंदर पाल ने कहा कि हमने पहले भी देश की सेवा की है, अब भी जरूरत पड़ी तो पीछे नहीं हटेंगे. ये गांव हमारा है, देश हमारा है- पाकिस्तान की औकात नहीं जो हमें हिला सके.

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उरी सेक्टर के गांव वाले बोले- पाकिस्तान को तीसरी हार मिलेगी

उरी सेक्टर में पाकिस्तानी हमलों के बावजूद गांवों में कोई अफरा-तफरी नहीं है. लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं. एक स्थानीय ग्रामीण ने कहा कि पाकिस्तान कभी नहीं जीता, अब तो हैट्रिक लगेगी. कश्मीर में शांति पाकिस्तान को रास नहीं आती, इसलिए वो हमला कर रहा है, लेकिन हम अपनी फौज के साथ हैं- पूरी ताकत से.

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फिरोजपुर के गांवों में क्या बोले लोग

आजतक की टीम फिरोजपुर के गांवों में पहुंची. यहां एक गांव लखा सिंह वाला जहां किसान कहते हैं कि यहां हमारी जमीन है, लेकिन हम डरते नहीं. सेना के साथ हैं. हम पहले फेस करते हैं, पीछे हटना नहीं आता.

दूसरा गांव है कालूवाला- यहां सड़क नहीं है, सिर्फ नाव से पहुंचा जा सकता है. इंडिया टुडे वहां पहुंचने वाला पहला चैनल रहा. नाव चलाने वाले ग्रामीण ने बताया कि हम पाकिस्तान की हरकतों से डरते नहीं. जरूरत पड़ी तो नाव छोड़ बंदूक उठा लेंगे.

कालूवाल ही नहीं, वहां के 15-20 गांव अब आर्मी के आदेश पर सील हैं, लेकिन ग्रामीण कहते हैं कि फेंसिंग के इस पार हम खड़े हैं, और अगर हमला हुआ तो जवाब देंगे.

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बॉर्डर पर होटल चलाने वाले ने कहा- पहले देश, बिजनेस बाद में 

सीमा पर होटल चलाने वाले मंजीत सिंह का कारोबार ठप पड़ा है, लेकिन चेहरे पर शिकन नहीं. बोले- 20 साल से यहां हूं. डर के नहीं जीते. मैं तो कहता हूं पाकिस्तान पे सीधा हमला कर दो- हमारा पंजाब वापस ले आओ. बीएसएफ और आर्मी बढ़िया काम कर रही हैं. हमें फर्क नहीं पड़ता, देश पहले है. मंजीत अपनी पत्नी और 5 साल की बेटी के साथ वहीं रहते हैं और अगर जरूरत पड़ी तो कहते हैं कि हथियार उठा लेंगे.

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'पाकिस्तान मुसलमानों का हितैषी नहीं, दिखावा है...' बोले कश्मीर के मकबूल खान

कश्मीर के एक गांव में रहने वाले मकबूल खान नाम के बुजुर्ग ने कहा कि पाकिस्तान का कश्मीर, मुसलमान... ये सब ड्रामा है. पाकिस्तान ने हमारे घरों पर गोले बरसाए. अगर उन्हें वाकई मुसलमानों की फिक्र होती, तो हमारे घर नहीं उड़ाते. मकबूल ने गोलों के टुकड़े दिखाए, टूटा घर दिखाया और कहा कि ये है पाकिस्तान की असलियत. अब तो सबक सिखाने का समय है.

जम्मू के गांव में रहने वाले लोग बोले- हम नहीं डरते

जम्मू उत्तर के गांव पर शेलिंग हुई, यहां फिर भी लोग डटे हैं. उन्होंने कैमरे पर कहा कि हम डरने वालों में नहीं. गांव छोड़ना हमारे खून में नहीं. पाकिस्तान को हर बार की तरह हराएंगे.

रिपोर्ट: असीम बस्सी, शिवानी शर्मा, मौसमी सिंह, मुनीश पांडेय, अरविंद ओझा, आशुतोष मिश्रा
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